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Showing posts from 2017

लफ्जो में कहना सकु

*लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं...* *'ज़ुबान' कभी कभी...!* *पता नहीं 'खामोशी'......* *'मज़बूरी' हैं..? या 'समझदारी'..?!!*

Gehri raat

Gehri Thi Raat Lekin Hum The Ke Soye Nahi Dard Bahut Tha Dil Mein Par Hum Roye Nahi Koi Nahi Hai Hamara Jo Puchhey Humse Jaag Rahe Ho Kisi Ke Liye Ya Kisi Ke Liye Soye Nahi..

ताजमहल

हाकीम-ए-वक्त ने ये कैसा हिंदोस्तान कर दिया, बे-जान ईमारतों को भी हिंदू-मुसलमान कर दिया, हम सोचते थे ताज़महल हिंदोस्तान का है, आज पता चला मुसलमान का है।

तेरा चेहरा

Chand sa Chehra dekhne ki izazat de do, Mujhe yeh sham sajane ke izazat de do, Mujhe Qaid kar lo apne ishq me, Ya fir Mujhe ishq karne ke izazat de do,
अगर पल भर को भी, मैं बे-जमीर हो जाता, यकीन मानिए, मै कब का अमीर हो जाता. ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ *मंज़र भी बेनूर थे और फिज़ाएँ भी बेरंग थी.* *बस दोस्त याद आए और मौसम सुहाना हो गया..!!* ◆◆...

नया अंदाज़

बस दिल जीतने का मक़सद रखो ! दुनिया जीतकर तो सिकन्दर भी ख़ाली हाथ ही गया °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° शिकवा तकदीर का ना शिकायत अच्छी, खुदा जिस हाल मे रखे वही जिंदगी ...

सच्चा दोस्त

सच्चे दोस्त हमें कभी गिरने नहीं देते, ना किसी कि नजरों में..और ना किसी के कदमों में..