नया अंदाज़
बस दिल जीतने का मक़सद रखो !
दुनिया जीतकर तो सिकन्दर भी ख़ाली हाथ ही गया
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शिकवा तकदीर का ना शिकायत अच्छी,
खुदा जिस हाल मे रखे वही जिंदगी अच्छी.....
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हथेली पर रखकर नसीब,तू क्यों अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है..
सीख उस समन्दर से, जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है..!!
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● कैसी कैसी रीत चलीँ और
कैसे कैसे मेल,
● तब खेल खेल मेँ प्यार था..
.. अब प्यार हो गया खेल…!!
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*कुछ ख्वाहिशों का*
*कत्ल कर के मुस्करा दो...*
*जिंदगी खुद ब खुद*
*बेहतर हो जाएगी...*
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