अगर पल भर को भी,

मैं बे-जमीर हो जाता,



यकीन मानिए, मै कब का अमीर हो जाता.
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*मंज़र भी बेनूर थे और फिज़ाएँ भी बेरंग थी.*

*बस दोस्त याद आए और मौसम सुहाना हो गया..!!*

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*ना डरा मुझे ऐ वक़्त नाकाम होगी तेरी हर कोशिशे,*

*ज़िन्दगी के मैदान में खड़ा हूँ, दुआओं का लश्कर लेकर !!*✍🏻✍🏻

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