New shayari
Yeh “Rose”🌹Unke Liye,
Jo Milte Nahi Roz Roz,
Magar Yaad Aate Hai Har Roz,
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कोई काँटा चुभा नहीं होता,
दिल अगर फूल सा नहीं होता,
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ज़माना चाहता है क्यों,मेरी फ़ितरत बदल देना,
इसे क्यों ज़िद है आख़िर,फूल को पत्थर बनाने की,
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अगर कुछ बनना है तो गुलाब के फुल बनो,
क्यों की,ये फुल उस के हाथ मैं भी खुशबु छोड़ देता है,
जो इसे मसल कर फ़ेंक देता है,
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उडने दो मिट्टी को कहाँ तक उडेगी,
हवा का साथ छूटेगा तो जमीन पर आ गिरेगी,
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वो मिले तो शायरी बनी,
वरना शब्दों की एहमियत किसे थी,
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खुदा जिसकी हिफाजत
करने कि ठान लेता है।
तो फ़िर मकडी के जाले
कि चादर तान लेता है।
अगर जिंदगी लिख दे तो
समुन्द्र भी राह देता है !
अगर वो मौत लिख दे
तो मच्छर जान लेता है !
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पानी पे समुन्दर कभी पहरा नहीं देता
फिर भी वो हमे पिने को कतरा नहीं देता
हम भी किसी पथ्थर में खुदा ढूंढते होंगे
क़ुरआन अगर हमको सहारा नहीं देता
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तस्वीर बना कर तेरी आस्मां पे टांग आया हूँ और लोग पूछते हैं आज चाँद इतना बेदाग़ कैसे है ।
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शिकायतों की पाई-पाई जोड़ कर रखी थी मैंने,
उसने गले लगाकर सारा हिसाब बिगाड़ दिया..
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"अन्याय" से लड़ते हुए...आपकी "मौत" हो जाती है तो......,
आने वाली पीढियां उसका "बदला" अवश्य लेगी......
परंतु..........!
यदि "सहते-सहते मर जाओगे तो....!!
आगे की पीढियां भी "गुलाम" बनी रहेंगी,
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