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Showing posts from November, 2017

लफ्जो में कहना सकु

*लफ़्ज़ों के बोझ से थक जाती हैं...* *'ज़ुबान' कभी कभी...!* *पता नहीं 'खामोशी'......* *'मज़बूरी' हैं..? या 'समझदारी'..?!!*

Gehri raat

Gehri Thi Raat Lekin Hum The Ke Soye Nahi Dard Bahut Tha Dil Mein Par Hum Roye Nahi Koi Nahi Hai Hamara Jo Puchhey Humse Jaag Rahe Ho Kisi Ke Liye Ya Kisi Ke Liye Soye Nahi..

ताजमहल

हाकीम-ए-वक्त ने ये कैसा हिंदोस्तान कर दिया, बे-जान ईमारतों को भी हिंदू-मुसलमान कर दिया, हम सोचते थे ताज़महल हिंदोस्तान का है, आज पता चला मुसलमान का है।